रिपोर्ट जगदीश कौलोनि।
पिथौरागढ में श्रम प्रवर्तन विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग ने शुरू किया अभियान
पिथौरागढ़। सीमांत जनपद पिथौरागढ में बालकों के साथ हो रही आपराधिक घटनाओं को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पिछले दिनों आयोजित एक बैठक के बाद बाल कल्याण समिति ने पूरे जिले में बाल अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। सभी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों से बालकों का उत्पीड़न रोकने में सहयोग की अपील की गई है।
अभियान की शुरुआत करते हुए बाल कल्याण समिति ( सीडब्ल्यूसी) की अध्यक्ष लक्ष्मी भट्ट ने कहा कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के प्रति किसी भी तरह का अनैतिक और गैर कानूनी कार्य व व्यवहार अक्षम्य अपराध है। किशोर न्याय अधिनियम बालकों के प्रति किसी भी तरह का अनाचार रोकने के लिए सभी संबंधित पक्षों को सख्त कार्रवाई की इजाजत देता है। बालकों के प्रति अपराधों को रोकने के लिए सभी संबंधित विभागों को सामंजस्य स्थापित करना होगा। बाल विवाह, बाल श्रमिक और बंधुवा मजदूरी के खिलाफ सभी को संवेदनशील होना चाहिए।
स्टेडियम के निकट एसवीएम पब्लिक स्कूल और श्री सरस्वती देवसिंह राजकीय इंटर कॉलेज से इस अभियान की शुरुआत कर दी गई है। समिति की अध्यक्ष लक्ष्मी भट्ट ने बाल कल्याण समिति के उद्देश्य पर विस्तार से जानकारी दी। पाक्सो अधिनियम और चाइल्ड लाइन पर जगदीश कलौनी ने और श्रम प्रवर्तन अधिकारी दीपक कुमार ने बाल श्रम, बाल विवाह और बंधुवा मजदूरी पर जानकारी दी।
जागरुकता अभियान का संचालन जिला विधि परिवीक्षा अधिकारी अंकुर जोशी ने किया।
चर्चा में रहा मोबाइल
पिथौरागढ। जिला बाल कल्याण समिति के निर्देशानुसार जिला श्रम प्रवर्तन विभाग और जिला प्रोवेशन विभाग के संदर्भदाताओं ने जब बच्चों से मोबाइल में मौजूद तमाम तरह के वीडियोज, एप्स, सोशियल मीडिया, ह्वाटसैप, इस्टाग्राम आदि पर विचार विमर्श प्रारंभ किया तो बच्चों का उत्साह देखने लायक था। सभी बच्चों ने स्वीकार किया कि वह अधिकांश समय मोबाइल पर व्यतीत कर रहे हैं, माता, पिता या परिवारजनों से बहुत कम बात होती है। अधिकांश समय मोबाइल पर व्यतीत होता है। इस दौरान संदर्भदाताओं ने
इस समस्या पर बच्चों की वृहद काउंसलिंग के साथ मोबाइल के उपयोग और दुरुपयोग पर आवश्यक जानकारी दी गई। सुखद यह है कि स्कूल प्रबंधन भी अब इस दिशा में कार्य करेंगे।