स्प्रिंग सैड की तकनीक अपनाई जाएगी।
विशेषज्ञों की पांच दिवसीय कार्यशाला संपन्न।
पिथौरागढ, 8 जनवरी
सीमांत जनपद पिथौरागढ के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से घट रहे जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष अभियान संचालित कर दिया गया है। अभियान के प्रथम चरण में विशेषज्ञों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत गंगोलीहाट विकासखंड में पीपल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून एवं एक्वाडैम पुने द्वारा इसीमोड नेपाल स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कॉरपोरेशन के सहयोग से स्प्रिंगसैड मैनेजमेंट पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। गंगोलीहाट में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई के इस प्रशिक्षण शिविर में परियोजना की पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग यूनिट, गंगोलीहाट की कोठेरा एवं दसाईथल की यूनिट के साथ विण यूनिट के सभी अधिकारियों एवं संबंधित सहयोगियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत भूमिगत जल का हिमालयी क्षेत्रों में कम होना, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण एवं प्रभाव समाधानों पर चर्चा की गई। साथ ही कोठेरा एवं बोयल गांव में स्थलीय निरीक्षण कर घटते जल स्रोतों का अध्ययन कर ग्रामीण वासियों के साथ परिचर्चा की गयी। बताया गया कि भूकंप, भूकटाव, बंजर होते खेत,जल स्रोतों के पास सड़क निर्माण में मानकों की अनदेखी आदि घटते जल स्रोत का कारण है । जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए अब स्प्रिंग सैड के माध्यम से जल स्रोत को संरक्षित करने का कार्य पीएमकेएसवाई की तकनीकी टीम विशेष कार्यक्रम तय करेगी। इस दौरान ग्रामीणों ने अपने – अपने जलस्रोतों के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर जानकारी दी।शिविर में पीएसआई से दीपा कौशलम, हाइड्रोलॉजिस्ट इप्सिता रॉय, नवीन गुसाई, एक्वा डैम से कुनाल उपासनी व वैभव बेल्हेकर, पीएमकेएसवाई 2.0 पिथौरागढ से सुनील कुमार सती, यूनिट अधिकारी योगेंद्र चौधरी, अमित गोस्वामी, ललित मोहन, हरगोपाल, सुरेश सजवाण, आयोजक एनजीओ अभिलाषा समिति के निदेशक डॉ किशोर कुमार पंत एवं समन्वयक शुभम नाथ ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्रदान किया।