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करता हूँ मैं आरती प्रभुः, हे ईष्ट देव करता हूँ मै वन्दन प्रभु : आराध्य देव रघुनाथ जी ॥ भक्त गण ध्यायें तुम्हे विनती सुनलो हे प्रभु ! मालिक हो तुम हम दास है, आराध्य देव रघुनाथ जी – @ करता हू श्री रामचन्द्र जी के रूप हो पार ब्रहम परमेश्वर : –
2 आदि हो तुम और अन्त तुम आराध्य देव रघुनाथ जी, करता जो भी आये द्वार पे इच्छा का वर पायेंगे (2)
राजा ही तुम रघुनाथ जी, दिल में बसालूं आपको करता 1.
यमुना धाम के वासी हो सर्व व्याप्त हे ईश्वर भूतेश्वर परमेश्वर: आराध्य देव रघुनाथ जी रक्षक हो चारो धाम चारो धाम के गंगा बद्री केदार के पुजेली में स्थान प्रभु आराध्य देव रघुनाथ जी करता है अर्पण तेरे अनन्त गुण भूषित प्रभुः:- यह जन्म है अर्पण तेरे करते रहे पूजन तेरा आराध्य देव रघुनाथ जी करता अपराध को करदे क्षमा दास की अरदास है – पापी हूँ माया मुक्त हूँ करदो कृपा है ईश्वर : करता ।