विरेन्द्र वर्मा।
उत्तराखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है, जो अपनी पहाड़ी सुंदरता, कला, संस्कृति और खाने के लिए जाना जाता है।यहां के खाने को चखने वाला हर पर्यटक उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाता है।यहां के खाने में आपको कई वैरायटी देखने को मिल जाएंगी।जब भी उत्तराखंड के फेमस व्यंजनों की बात की जाती है तो उसमें कंडाली के साग का नाम भी सामने आता है। कंडाली को बिच्छू घास और सिसौण भी कहते हैं। पहाड़ के पुराने लोग इसके मेडिटेशनल फायदे जानते थे, तभी तो कंडाली का साग उनके खान-पान का अहम हिस्सा था। इसके औषधीय गुण जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। कंडाली के पत्तों में खूब आयरन होता है, जो कि खून की कमी को दूर करता है। इसके अलावा फोरमिक एसिड, एसटिल कोलाइट और विटामिन ए भी कंडाली में खूब मिलता है। इसका सेवन पीलिया, उदर रोग, खांसी-जुकाम में फायदा देता है। मोटापे से निजात दिलाने में भी ये फायदेमंद है। इसके अलावा किडनी संबंधी बीमारियों में भी कंडाली के सेवन की सलाह दी जाती है।यही वजह है कि अब कंडाली के बीजों से कैंसर की दवाई बनाई जा रही है। कंडाली एक ऐसा पौधा है, जिसके हर हिस्से का इस्तेमाल होता है। ये तो हुई कंडाली की बातें, चलिए अब आपको कंडाली की रेसेपी बताते हैं। डरने की जरूरत बिल्कुल नहीं है, भले ही कंडाली कांटेदार दिखती है, पर इसकी सब्जी खाते वक्त आपको इन कांटों का अहसास कतई नहीं होगा। कंडाली की सब्जी या कफली बनाने के लिए कंडाली की नई मुलायम पत्तियां लें। इन्हें झाड़कर साफ करें। बाद में लोहे की कढ़ाई में कम पानी में अच्छी तरह पकाएं। बर्तन को ढंक कर रखें। कंडाली की पत्तियों के साथ अमिल्डा की हरी पत्तियों को भी पकाएं, इससे सब्जी का स्वाद बढ़ेगा। उबली हुई पत्तियों का साग बनाएं। इसके लिए सरसों के तेल में जख्या का तड़का लगाएं। बाद में लहसुन की कलियां, हींग, हरी मिर्च और स्वादानुसार नमक डालें। बाद में कंडाली की उबली पत्तियां मिलाएं। अब इसे कलछी से हिलाते रहें। बस थोड़ी ही देर में कंडाली का साग बनकर तैयार है। इसमें आप बेसन का घोल या फिर पिसे हुए चावल डालकर आलण भी बना सकते हैं। ठंड के मौसम में कंडाली का सेवन आपको सेहतमंद रखेगा।