रिपोर्ट अरविंद थपलियाल।
उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लाक के अंतर्गत शिव नगरी दारसौं में शंकराचार्य द्वारा निर्मित आलोकिक और अद्भभुत शिवालय के दर्शन करने के लिए महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर श्रद्वालुओं का तांदा लगा रहा। शिव मंदिर में पुजारी राधेश्याम थपलियाल और विजयप्रकाश व सीताराम उनियाल ने बताया कि दारसौं गांव में शिवरात्रि के अवसर पर रात्रि जागरण की पौराणिक पंरपरा आदिकाल से चली आ रही है। पौराणिक अखंड शिवालय पर जानकार बतातें हैं कि दारसौं शिवनगरी के इस अखडं शिवालय की कोई लिखित और मौखिक जानकारी नहीं है कि इस शिवालय की स्थापना कितने सदी पहले हुई। हां इतना पुर्वज जरूर बतातें हैं कि जहां यह शिवालय वहां पहले घनघोर झाडि़या थी तो 5किमी दूर कफनोल से एक गाय आती थी और वहां दूध और गाय मूत्र डालकर जाती थी ऐसी कहानी की जानकारी कफनौल निवासी पूर्व मंदिर समिति अध्यक्ष 85वर्षिय अतर सिहं बतातें हैं। पंवार ने यह भी बताया कि दारसौं शिवनगरी का महत्व केदारनाथ धाम के बराबर है। आपको बतादें कि शिव मंदिर दारसौं में धयेश्वर नाग देवता का भी वास है लेकिन धयेश्वर नाग को शिव ने एक निश्चित जगह मंदिर के अंदर चिन्हित कर रखी है ऐसा जानकार बतातें हैं। विकाखडं नौगांव के मुंगरसन्ति क्षेत्र के इस अखडं शिवालय की बनावट और नकासी आलोकिक है। आज शिवरात्रि पर यह सुबह चार बजे श्रद्वालु शिव को जलाविशेक करवा रहे हैं। आप यदि इस अद्वभुत शिवालय के दर्शन करना चाहतें तो आप जरूर इसकी प्रमाणिकता और अंखडता को देखें। आप देहरादून से आतें हैं तो बर्नीगाड़ एक जगह है यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर आप वहां से सीधे धारी कफनौल मोटर मार्ग को पकडे़ और रास्ते में सिमलसारी नाम एक जगह आयेगी आप उस रूट की तरफ मुव करें आप सीधे शिवनगरी दारसौं पंहुचेंगे और आपको वहां पुजारी आपको शिव दर्शन करवायेंगे।