रिपोर्ट जगदीश।
पिथौरागढ। जिला मुख्यालय से करीब 95 किलोमीटर दूर, नाचनी के राया बजेता इलाके में तीन लोग खुद को नाचनी थानाध्यक्ष बताकर लोगों को डरा धमका रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर नाचनी पुलिस ने तीन लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया है।
नाचनी थानान्तर्गत राया बजेता गाँव के लोग लंबे समय से क्षेत्र में किए जा रहे अवैध खनन का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी नाप भूमि पर और वन पंचायत की भूमि पर अवैध रूप से दस्तावेज तैयार करवाकर और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से हल्द्वानी की एक कंपनी खनन कर रही है। यह क्षेत्र पहले से ही भूस्खलन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है और कई बार इस इलाके में प्राकृतिक आपदाऐं आ चुकी हैं। ग्रामीणों के लगातार विरोध के कारण राया बजेता में खनन कार्य रुक गया था लेकिन बीते दिन तीन लोगों ने ग्रामीणों को फोन पर स्वयं को नाचनी पुलिस थानाध्यक्ष बताकर फोन किया और उनको धमकाया। ग्रामीणों ने नाचनी थाने में पहुंचकर वहीं के निवासी कुंवर सिंह कोरंगा, मनीष सिंह तथा हेमन्त कुमार के विरूद्ध तहरीर सौंपकर कहा कि उक्त तीनों ने अलग-अलग नंबरों से फोन कर वन पंचायत सरपंच कुंदन सिंह से कहा कि आप थाना नाचनी आओ हम आपके लिए गाड़ी भेज रहे हैं। कुछ समय बाद उक्त तीन लोग गाड़ी लेकर आये तथा सरपंच कुन्दन सिंह को नाचनी की तरफ ले गये तथा रास्ते में गाड़ी रोक कर सरपंच को डरा धमका कर बिना पचों व बिना प्रस्ताव के 15 हजार रुपए की रॉयल्टी जबरदस्ती कटवाई गई। सरपंच कुन्दन सिंह इन तीन लोगों से अपनी जान बचा कर किसी तरह भाग निकले। इसके तुरन्त बाद बजेता में एक बैठक की गई। जिसमें इस घटना की कडी आलोचना करते हुए दोषियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया गया। पुलिस ने मामले की जांच उपरांत तीनों के विरूद्ध आईपीसी की धारा 420 और शांतिभंग की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण, राया बजेता क्षेत्र में खनन की अनुमति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राज्य सरकार द्वारा देने का आरोप लंबे समय से लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह इलाका प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है। 2011 की आपदा में पांच लोगों की मौत हो चुकी और कई मवेशी और मकान समेत संपत्ति नष्ट हुई। इससे पहले 1971 में भी यहां बहुत बड़ी आपदा आ चुकी है, जिसमें दर्जनों लोग प्रभावित हुए, कई लोग विस्थापित हुए और सैकड़ो मवेशी मारे गए। इस क्षेत्र की 700 से अधिक आबादी इस खड़िया खनन से प्रभावित होने वाली है। अधिकांश लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजार रहे हैं। आज भी यह आवादी खेती पर निर्भर है। यदि इस क्षेत्र में खनन होता है तो पूरे इलाके को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। खनन से लोगों की उपजाऊ भूमि, गोचर, पनघन, स्कूल, सड़क, पानी के स्रोत व पूरा गांव आदि का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि इस खनन के विरोध में लोग 2018 से तहसील व जिला प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार को भी ज्ञापन भेज रहे हैं। स्थानीय विधायक समेत सभी जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासन भी इस मामले पर चुप्पी साधे हैं। केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू को भी अवगत कराया गया किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों के तार्किक विरोध के बाद भी खड़िया खनन का पट्टा रद्द नहीं किया जा रहा है। ऐसी हठधर्मिता कर सरकार लोगों की आवाज को दबाने का काम कर रही है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक तरफ चीन से लगे गांव का संरक्षण, पहाड़ से पलायन रोकने की बात की जा रही है दूसरी तरफ खनन माफिया जबरदस्ती ग्रामीणों को डरा धमाका कर बेघर करने पर तुले हुए है।
थाना नाचनी मे मुकदमा दर्ज करने वालो में वन पंचायत सरपंच कुंदन सिंह, पुष्कर सिंह पवार, इन्द्र सिंह, जगदीश पवार, गजेन्द्र बिष्ट, कमल नेगी, अनी राम, भीम सिंह, हर सिंह आदि शामिल थे।