रिपोर्ट रोबिन वर्मा
मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी उत्तरकाशी डा. भरत दत्त ढौंडियाल ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया की पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालन की अपार संभावनाएं हैं,यहां के लोग सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर इसे आजीविका का माध्यम बना सकते हैं। इसके लिए पशुपालन विभाग उत्तरकाशी उन्हें हर संभव मदद करने को तत्पर है। उन्होंने कहा कि पशुपालन पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार का बेहतर जरिया साबित हो सकता है। इसके लिए पशुपालन विभाग उत्तरकाशी लगातार प्रयास कर रहा है। इस दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि पशुपालन से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सके। इसके लिए विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है।
इस दौरान विभाग के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्वरोजगार को जोड़ने के लिए गोपालन ,बकरी/ भेड़ पालन, कुकुट पालन आदि प्रमुख योजनाएं स्वरोजगार हेतु चलाई जा रही है।
गोपालन योजना : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों हेतु संचालित (90% विभागीय एवं 10% लाभार्थी अंशदान)
बकरी / भेड़ पालन योजना: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों हेतु संचालित (90% विभागीय एवं 10% लाभार्थी अंशदान)
महिला बकरी पालन : विधवा महिलाओं हेतु स्वरोजगार से जोड़ने के लिए।
कुकुट पालन योजना: एससीपी लाभार्थी (निशुल्क एक दिवसीय चूजा इकाई वितरण)
टीकाकरण एवं पशुधन बीमा योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया किटीकाकरण पशुओं को जानलेवा संक्रमण रोगों से बचाव के लिए विभाग के द्वारा खुरपका एवं मुंहपका(FMD), ब्रुसेलोसिस, गलघोटु (HS), पीपीआर(PPR), तथा रेबीज जैसे घातक रोगों का टीकाकरण किया जाता है।
राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (NAIP) पशुपालन विभाग उत्तरकाशी के द्वारा पशुओं में नस्ल सुधार के लिए पशुपालकों को उनके द्वार पर कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान की जा रही है इसमें उचित मूल्य पर लिंग वर्गीकृत वीर्य के उपयोग से उन्नत नस्ल की संतति प्राप्त हो सके।
पशुधन बीमा योजना: भारत सरकार की इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मामूली से अंश पर लाभार्थी के द्वारा पशुओं का बीमा 1 वर्ष या अधिक वर्ष के लिए करवा सकते है एवं पशुओं की आकस्मिक मृत्यु होने के पश्चात पशुपालकों को होने वाली आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति पशुधन बीमा से की जाती है।