रिपोर्ट जगदीश ।
कृषि, उद्यान, भूमि संरक्षण समेत सभी विभाग लघु एवं मझोले किसानों को प्रोत्साहित करेंगे
पिथौरागढ। मुख्य विकास अधिकारी अनुराधा पाल ने कहा है कि सीमांत क्षेत्र की भौगोलिक और पारिस्थितिक तंत्र को देखते हुए मिश्रित खेती से ही किसानों की आय में इजाफा हो सकता है। इसके लिए कृषि, उद्यान, पशु पालन, मत्स्य पालन, मौन पालन, भूमि संरक्षण विभाग, मनरेगा, सिंचाई विभाग आदि के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित किया जाएगा ताकि काश्तकारों को सही समय पर सहयोग प्राप्त हो सके।
धारचूला रोड स्थित धनौडा में ‘किसान श्री’ पुरस्कार से सम्मानित पूर्व सैनिक केशव मखौलिया के बागान का दौरा करने के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में कम जोत, सिंचाई की कमी और लगातार बदलते पर्यावरणीय परिस्थिति को देखते हुए मिश्रित खेती बेहतर विकल्प बन सकता है। श्री मखौलिया ने मिश्रित खेती का शानदार उदाहरण प्रस्तुत कर यह तथ्य साबित कर दिया है। शीघ्र ही जनपद के काश्तकारों का एक्सपोजर विजिट इस बागान में कराया जाएगा ताकि वह भी इस तकनीक का प्रयोग कर सकें। उन्होंने बागान में उन्नत किस्म की टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, ककडी, तोरई, भिंडी, आलू, सेव, फूलों की खेती के साथ ही गौ पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन का प्रदर्शन देखा और इस प्रयोग को जिले के काश्तकारों के लिए अत्यंत लाभदायक बताया।
निरीक्षण के दौरान मनरेगा लोकपाल विनीता कलौनी, मुख्य कृषि अधिकारी ॠतु टम्टा, भूमि संरक्षण अधिकारी पूजा पुनेड़ा, मुस्कान सामाजिक उत्थान समिति के अध्यक्ष जगदीश कलौनी, लेफ्टिनेंट योगेंद्र चंद आदि मौजूद रहे।