डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में करीब 1900 के आसपास हुआ माना जाता है। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। साल 1958 में उन्होंने अपना घर त्याग दिया था। इसके बाद ये पूरे उत्तर भारत में साधुओं की तरह विचरण करने लगे थे और इन्हें कई अलग-अलग नामों से पहचाना जाता था। कोई इन्हें लक्ष्मीदास तो कोई हांडी वाले बाबा और कोई तिकोनिया वाले बाबा के नाम से पुकारता था। गुजरात में इन्होंने ववानिया मोरबी में तपस्या की थी तो लोग इन्हें तलईया बाबा के नाम से भी पुकारने लगे थे। उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 में वृंदावन में किया था।बाबा का आश्रम उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी पर बसा है। ये आश्रम समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है। जो भक्तों के बीच कैंची धाम के नाम से लोकप्रिय है। माना जाता है कि साल 1961 में बाबा नीम करौली पहली बार यहां आए थे। उन्होंने अपने मित्र पूर्णानंद के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। फिर 1964 में इस आश्रम की स्थापना हुई थी। कहा जाता है कि यहां जो भी व्यक्ति मुराद लेकर आता है तो वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। ये बाबा का समाधि स्थल भी माना जाता है।बाबा को 17 साल की उम्र में ही ईश्वर के बारे में विशेष ज्ञान प्राप्त हो गया था। वो हनुमान जी को अपना गुरु मानते थे। बाबा ने अपने जीवनकाल में हनुमान जी के करीब 108 मंदिर बनवाए हैं। मान्यता है कि बाबा नीम करोली ने हनुमान जी के अराधना से ही कई चमत्कारी सिद्धियां प्राप्ति की थी। बाबा एक दम सादा जीवन जीते थे। किसी को अपने पैर तक नहीं छूने देते थे। आडंबरों से दूर रहते थे।नीम करौली बाबा या नीब करोरी बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा की ख्याति विश्वभर में है। कई लोग इन्हें भगवान हनुमान का अवतार तक मानते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (हॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी हस्तियां तक इनके भक्तों में शामिल हैं। ये लोग बाबा के कैंची धाम आश्रम के दर्शन भी कर चुके हैं।साल 1974 में भक्तों ने बाबा के मंदिर का निर्माण शुरू किया और आज यहां भव्य मंदिर है। यहां के अलावा वृंदावन, ऋषिकेश, लखनऊ समेत नैनीताल, मुक्तेश्वर, रानीखेत, कौसानी जैसी जगह पर भी बाबा के आश्रम हैं। नैनीताल के निकट कैंची धाम जैसे दर्जनों आश्रम स्थापित करने वाले बाबा नीम करौली की अलौकिक दृष्टि ही कही जाएगी कि उन्होंने अपने आश्रम में संन्यास की इच्छा से आए एक साधारण भक्त में चेचक से फैली महामारी के उन्मूलन की क्षमता को पहचानकर उसे इस दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया था।बाबा के आदेश पर जब इस अमेरिकी नागरिक लैरी ब्रिलिएंट ने चेचक उन्मूलन में सहायता के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से संपर्क किया तो डब्ल्यूएचओ ने उन्हें इसके लिए अनुपयुक्त बताते हुए वापस भेज दिया। ऐसा एक दो बार नहीं बल्कि सात बार हुआ और लैरी बार-बार बाबा के पास लौट कर आते रहे।बाबा के आदेश पर सातवीं बार जब लैरी फिर डब्ल्यूएचओ गए तो उन्हें चिकित्सक तो नहीं लेकिन सहायक प्रशासक के तौर पर रख लिया गया। यही लैरी बाद में विश्व और एशियाई देशों में इस महामारी के उन्मूलन के प्रणेता बने। लैरी ने परोपकार को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उन्होंने सेवा संस्थान की स्थापना कर चीन, नेपाल, भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया, तंजानिया, इथियोपिया और ग्वाटेमाला में तीस लाख नेत्र दिव्यांगों को आंखों की रोशनी लौटाने, भारत व श्रीलंका में पोलियो उन्मूलन, सुनामी प्रभावितों की मदद जैसे दर्जनों जनहित के अभियान चलाए। भारत के मदुरै में अरविंद नेत्र अस्पताल की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। उनके कार्यों से प्रभावित होकर गूगल ने उन्हें अपना कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया। जलवायु परिवर्तन, महामारी, जल सुरक्षा के लिए ईबे के संस्थापक जेफ स्कॉल ने उन्हें स्कॉल ग्लोबल थ्रेट्स फंड का सीईओ बनाया। मिशिगन विवि ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य का प्रोफेसर नियुक्त किया। वर्तमान में बाबा तो समाधी ले चुके हैं किन्तु कहते हैं कि हनुमान का यह मंदिर बिगड़ी तकदीर बना देता है. कैंची धाम में भव्य ध्यान केंद्र बनाया जाएगा। जो कि दो मंजिला होगा। इसमें सत्संग हॉल बनेगा, जिसकी क्षमता 130 व्यक्तियों की होगी। योगा हॉल के साथ ओपन डेस्क बनाई जाएगी। आधुनिक शौचालय और लिफ्ट की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके अलावा आयुर्वेदिक उपचार हॉल का निर्माण किया जाएगा। कैंची धाम में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में मंदिर के बाहर जाम लगना लाजिमी है। इस समस्या से निजात पाने के लिए यहां आठ मंजिला पार्किंग कांप्लेक्स बनाया जाएगा। जिसमें छह सौ से ज्यादा गाड़ियां खड़ी हो सकेंगी। धाम के पास 1.3 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनेगा। इसके अलावा ओपन एयर थिएटर, फूड कोर्ट भी होंगे। शिप्रा नदी के घाटों का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। कैंची धाम बाबा नीम करौली का साधनास्थल है। श्रद्धालुओं का मानना है कि उनके पास दिव्य शक्तियां थीं। नैनीताल-अल्मोड़ा रोड पर 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है। देश-विदेश समेत हज़ारों लोग यहाँ अपनी बिगड़ी तक़दीर को बनवाने आते हैं. आश्रम में जहां न केवल देशवासियों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रसन्न और खुशहाल बनने का रास्ता मिलता है। वहीं दूसरी ओर प्राचीन सनातन धर्म की संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होता है।लेखक के निजी विचार हैं वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।