(156 वर्ष पूर्व टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने 1866 में कराई थी मौण परंपरा शुरु )
रिपोर्ट विरेन्द्र वर्मा ।
टिहरी जिले के विकासखण्ड जौनपुर के अगलाड़ नदी में प्रतिवर्ष जून के अंतिम सप्ताह में लगने वाला ऐतिहासिक मौण मेला धूमधाम से मनाया गया।मेले में हजारों की संख्या में जौनपुर,जौनसार, रवांई आदि अनेक क्षेत्रों के हजारों लोगों ने अगलाड़ नदी के मौण मेले में प्रतिभाग किया। इस बार मौण टिमरू के पाउड़र को एकत्रित करने की बारी सिलवाड़ पट्टी की थी जिसमें11 गाँव ग्राम मसोन, पाब, कोटी , चिलामू ,टटोर ,जयद्वार तल्ला, जयद्वार मल्ला, बणगाँव ,सुरांसू ,खर्क खरसोन के ग्रामीणों द्वारा मौण ( टिमरू का पाउडर )निकाला गया था।अगलाड़ नदी के मौण कोठे नामक तोक से पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मौण टिमरू का पाऊडर डालकर लोगों ने कई कुंतल मछलियां पकड़ी।बुजुर्गों के मुताबिक जौनपुर में मौण मेला मनाने की यह अनूठी परंपरा टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने1866 में शुरू कराई थी,बताया जाता है कि टिहरी नरेश ने स्वयं अगलाड़ नदी में आकर मौण डाला था। जौनपुर में निरंतर 156 वर्ष पूर्व से चली आ रही इस परंपरा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अगलाड़ मौण मेला समिति के अध्यक्ष महिपाल सिंह सजवाण, भाजपा नेता राजेश नौटियाल,सूर्य पंवार, गोपाल सिंह, जयपाल राणा, आदि के साथ साथ अनेक स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते 2 वर्ष यह मौण मेला स्थगित किया गया था, जिसमें इस वर्ष हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पहुंच कर मौण मेले में भाग लिया। करीब 5 किमी लंबे क्षेत्र में हजारों की संख्या में लोग नदी में मछली पकड़ने उतरे। जिसमें कुंडयाला, फटियाला, जाल, व हाथों से मछली पकड़ते दिखे। मौण त्योहार को लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं जिसमें इस दौरान अनेक प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं।