डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
देवभूमि उत्तराखंड आदिकाल से अध्यात्म की धारा को प्रवाहित करती आई है. हिंदू धर्म व संस्कृति की पोषक माने जाने वाली गंगा व यमुना के इस मायके में संतों-महात्माओं के तप करने की अनगिनत गाथाएं भरी पड़ी हैं. ऋषि-मुनियों ने ध्यान व तप कर देश दुनिया को यहां से सनातन धर्म की महत्ता का संदेश दिया है. आज भी यहां विभिन्न रूपों में मौजूद उनकी स्मृतियों से दुनिया प्रेरणा प्राप्त करती है. यहां कदम-कदम पर मठ-मंदिर अवस्थित हैं, जिनका तमाम पौराणिक व धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है. इससे उनकी प्राचीनता, ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता व सांस्कृतिक महत्व का पता चलता है. इन अनगिनत देवालयों के अलावा यहां बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री जैसे विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी स्थित हैं, जो सदियों से हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्र रहे हैं. इस क्षेत्र के आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए पौराणिक समय से लेकर आधुनिक काल तक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में साधक व श्रद्धालु हिमालय की कंदराओं का रुख करते आए हैं और यही कारण रहा कि यह क्षेत्र देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध हुआ. पूरे देश में जिस तरह से घूसखोर अधिकारी-कर्मचारी व नेता एंटी करप्शन ब्यूरो के शिकंजे में फंस रहे है, उससे लगता है कि भ्रष्टाचार चरम पर है। रिश्वत के बिना कुछ भी काम संभव नहीं। एक तरह से रिश्वतखोरी देश का सर्वमान्य धर्म बन गया है, जिसका पालन देश के अधिकांश लोग पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। यही वजह है कि रिश्वतखोरी के आधार पर बनाए गए भ्रष्ट देशों की सूची में भारत सबसे ऊपर है, जहां हर दूसरे व्यक्ति ने रिश्वत देने की बात मानी है। ट्रैस रिश्वत जोखिम मैट्रिक्स 2021 की हालिया रिपोर्ट में भारत 82वें स्थान पहुंच गया है। 2020 में यह 77वें स्थान पर था। भारत में 74 फीसदी का कहना है कि पिछले 3 सालों में रिश्वतखोरी बढ़ी है, जबकि दुनिया में यह बात स्वीकार करने वालों की संख्या 60 प्रतिशत है। इंडिया करेप्शन सर्वे के अनुसार घूसखोरी में राजस्थान सबसे आगे, बिहार दूसरे तो उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।वाशिंगटन की संस्था ग्लोबल फाईनेंशियल इंटिग्रिटी के अनुसार भारत में आजादी से लेकर अब तक रिश्वत ने 450 अरब डॉलर का नुकसान कया है। पिछले साल भारत में काम करवाने के लिए 54 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी, जबकि पूरी दुनिया की चौथाई आबादी घूस देने को मजबूर है रिश्वत लेना और देना अपराध है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए अभियान चल रहे हैं, रिश्वतखोरों के खिलाफ कार्रवाई भी हो रही है, पर फिर भी भ्रष्टाचार का मर्ज खत्म नहीं हो रहा। हालात ये हैं कि उत्तराखंड में लोगों के सरकारी काम तब तक नहीं होते जब तक वो रिश्वत नहीं देते। रिश्वत दे दी तो काम मिनटों में हो जाता है, ना दी तो महीनों-महीनों चक्कर काटते रहो। हर दफ्तर का यही हाल है। उत्तराखंड के 50 फीसदी लोगों को सरकारी दफ्तरों में अपने काम कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे, ये कहना है इंडिया करप्शन सर्वे 2019 की रिपोर्ट का। जिसने सूबे के सरकारी दफ्तरों में चल रहे रिश्वत के खेल की पोल खोलकर रख दी है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में उत्तराखंड के सरकारी विभाग अव्वल हैं। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं। प्रदेश मे सबसे ज्यादा रिश्वत जमीन और प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के लिए देनी पड़ती है। इसके बाद आरटीओ, टैक्स कार्यालय और बिजली विभाग का नंबर आता है। सर्वे में 67 फीसदी लोगों ने माना कि उन्हें जमीन और प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के लिए रजिस्ट्रार दफ्तर में रिश्वत देनी पड़ी। आम जनता सरकारी विभागों में रिश्वतखोरी से परेशान है। इसकी पुष्टि भ्रष्टाचार निरोधी हेल्पलाइन 1064 पर आई शिकायतों के अंबार से साफ हो रही है। बीते दो माह में ही हेल्पलाइन पर रिश्वत मांगने की एक हजार से अधिक शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें से 71 शिकायतें सही पायी जा चुकी हैं। लेकिन अब तक सिर्फ छह ही लोग पकड़े गए हैं।प्रदेश में पहले भी भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के लिए टोलफ्री नंबर था, लेकिन इसमें कोड के साथ ही 10 अन्य नंबर डायल करने पड़ते थे। इस कारण टोल फ्री नंबर बहुत प्रचलित नहीं हो पाया। अब केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों को एंटी करप्शन हेल्पलाइन के लिए 1064 नंबर आवंटित कर दिया है।इसी क्रम में उत्तराखंड में भी आठ अप्रैल से एंटी करप्शन हेल्पाइन नंबर 1064 सक्रिय हो चुका है। विजिलेंस मुख्यालय से 24 घंटे संचालित होने वाले इस हेल्पलाइन पर दो महीने में ही कुल करीब 3200 कॉल दर्ज हो चुकी हैं। जिसमें करीब 2200 कॉल जन समस्याओं को लेकर हैं। जिन्हें विजिलेंस ने सीएम हेल्पलाइन पर भेज दिया है।सतर्कता विभाग के अधिकारियों के मुताबिक करीब एक हजार शिकायतें सीधे तौर भ्रष्टाचार को लेकर आई हैं। इसमें सर्वाधिक शिकायतें राजस्व विभाग के अधीन लेखपाल, पटवारी, कानूनगो या तहसील कलेक्ट्रेट के विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों को लेकर हैं। जबकि विद्युत विभाग, पेयजल, नगर निकाय जैसे जनता से जुड़े विभागों की भी खूब शिकायतें आई हैं।विजिलेंस अधिकारी इस बात को लेकर हैरत जता रहे हैं कि हेल्पलाइन पर पुलिस की कोई शिकायत अब तक नहीं आई है। निदेशक विजिलेंस के मुताबिक हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त शिकायतों को जांच के बाद ही पुख्ता तैयारी के साथ ट्रैप की कार्रवाई की जाती है। आने वाले दिनों में ट्रैप की कार्रवाई और तेज होगी। शिकायत के बाद विजिलेंस शिकायतों की प्रारंभिक जांच करता है, महज दो महीनों में प्राप्त इन शिकायतों में से अब तक 71 में प्रारंभिक तौर पर रिश्वत मांगने की पुष्टि हो रही है। इसमें से छह अब तक ट्रैप हो चुके हैं। जबकि शेष को ट्रैप किए जाने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। दो महीने पहले सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एंटी करप्शन नंबर 1064 शुरू किया गया था ताकि यदि कोई सरकारी कर्मी किसी से रिश्वत मांगे या अन्य भ्रष्टाचार करे तो इसकी शिकायत की जा सके। इस अवधि में इस नंबर पर 3300 से ज्यादा लोगों ने फोन किया है। बताया गया कि बीते दो माह में 150 लोगों से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिश्वत की मांग की है। सबसे कम रिश्वतखोरी दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, गोवा व पश्चिम बंगाल में है. उत्तराखंड समेत देश के 13 अन्य ऐसे राज्य हैं जहां के 50 फीसदी लोगों को सरकारी दफ्तर में काम कराने के लिये रिश्वत देनी पड़ी है.
Note : यह लेखक के निजी विचार हैं।